Thursday, February 19, 2009

विनय जी की कविता-आम आदमी

प्रतियोगिता के अंतर्गत हम जो दूसरी कविता प्रकाशित कर रहे है वो है श्री विनय बिहारी सिंह जी की,यह हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग के सक्रिय लेखक है ,इनके लेख अधिकतर धर्म से जुड़े होते है जिन्हें पसंद करने वालों की संख्या बहुत अधिक है !! इनकी कविता आम आदमी ने शीर्ष पाँच कविताओं में प्रथम स्थान बनाया है !
तो विनय जी आपको हार्दिक बधाई और सभी पाठकों से आग्रह है की इस कविता पर अपनी राय देकर समीक्षा करें!!



हर मूल अधिकार के लिए
सक्षम व्यक्ति पर
बार- बार निर्भर है
आम आदमी।


वोट के जरिए
किसी को भी राजा बना कर
भिखारी बन जाता है
आम आदमी।


जब संपेरे से
बीन छीन ले सांप
तो कर ही क्या सकता है
आम आदमी।


पर एक बात है जरूर
संघर्षों और विपत्तियों के बीच भीच
चट्टान बना खड़ा रहता है
आम आदमी।


अनैतिकता की नदी की सडांध
अब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा
नींद से जागा
आम आदमी।


इसलिए होशियार
उठ खड़ा होने वाला है
जबर्दस्त हथियार लेकर
आम आदमी।।

3 comments:

  1. बहुत बहुत मुबारक हो!!

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  2. bahut acha. vakai kavita bahut shandar hai.

    aap kabhi hamare blog

    http://fmghosee.blogspot.com

    par bhi tasrif laye.

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  3. नमस्कार
    शुक्रिया

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