
तो विनय जी आपको हार्दिक बधाई और सभी पाठकों से आग्रह है की इस कविता पर अपनी राय देकर समीक्षा करें!!
हर मूल अधिकार के लिए
सक्षम व्यक्ति पर
बार- बार निर्भर है
आम आदमी।
वोट के जरिए
किसी को भी राजा बना कर
भिखारी बन जाता है
आम आदमी।
जब संपेरे से
बीन छीन ले सांप
तो कर ही क्या सकता है
आम आदमी।
पर एक बात है जरूर
संघर्षों और विपत्तियों के बीच भीच
चट्टान बना खड़ा रहता है
आम आदमी।
अनैतिकता की नदी की सडांध
अब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा
नींद से जागा
आम आदमी।
इसलिए होशियार
उठ खड़ा होने वाला है
जबर्दस्त हथियार लेकर
आम आदमी।।
बहुत बहुत मुबारक हो!!
ReplyDeletebahut acha. vakai kavita bahut shandar hai.
ReplyDeleteaap kabhi hamare blog
http://fmghosee.blogspot.com
par bhi tasrif laye.
नमस्कार
ReplyDeleteशुक्रिया